Considerations To Know About treatment of piles in pregnancy
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जब बवासीर की नसें फट जाती हैं और खून निकलता है, तो उसे खून वाली बवासीर कहते हैं।
यह दबाव के कारण होता है और इसके लक्षणों में दर्द, खुजली, जलन और कभी-कभी खून आना शामिल है।
सेब का सिरका अपने कषाय गुणों के कारण रक्तवाहिनियों को सिकोड़ने में मदद करता है। खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं। बादी बवासीर में सेब के सिरके में रुई भिगाकर गुदा में रखें। इससे जलन और खुजली से राहत मिलेगी।
यदि घरेलू उपायों से राहत न मिले या रक्तस्राव और दर्द बढ़ जाए तो चिकित्सक से संपर्क करें।
इस ब्लॉग में हम बवासीर के कारण, लक्षण, घरेलू उपाय, आयुर्वेदिक चिकित्सा और जीवनशैली में बदलावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि आप इस समस्या को बेहतर तरीके से समझ सकें और इसे दूर कर सकें।
खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।
फाइबर युक्त आहार, भरपूर पानी, मल त्याग के बाद सफाई, और तनाव कम करना उपचार के आवश्यक भाग हैं।
सर्जरी के बाद बवासीर दोबारा हो सकता है?
जैतून के तेल में सूजन ठीक करने वाले गुण होते हैं। यह रक्तवाहिकाओं में आई सूजन को कम करता है। जैतून के तेल को बादी बवासीर के मस्सों पर लगाएं।
अगर ये लक्षण लगातार दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है.
बवासीर में तुरंत आराम पाने के लिए क्या करें?
रोजाना सुबह खाली पेट आंवला का रस या त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ लें। click here यह पाचन को दुरुस्त करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।
स्क्लेरोथेरेपी : यहाँ सर्जन बवासीर में स्क्लेरोसेंट नामक तरल इंजेक्ट करता है, जिससे रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है और बवासीर सिकुड़ जाती है।
बवासीर से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में निम्नलिखित बदलाव करें: